होश कहीं पैर कहीं कदम कहीं पड़ते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।
दीवानगी का आलम, कुछ इस तरह हुआ है।
आवारगी में अब नाम शुमार जान पड़ता है।
तारों, सितारों से गुलों से बात करते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।
जब हो ही बैठा दिल मेरा, गुलाम यार का।
अब जो भी होगा देखेंगे अंजाम प्यार का।
हालात अब है ये कि सब उनकी बात करते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।
पहले छुपाये फिरते थे, हम दास्ताने इश्क।
जब उठ गया धुआं तो बगावत की आग सुलगी है।।
बेशाख्ता से हम उनको ही हरशू तकते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।
दीवानगी का आलम, कुछ इस तरह हुआ है।
आवारगी में अब नाम शुमार जान पड़ता है।
तारों, सितारों से गुलों से बात करते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।
जब हो ही बैठा दिल मेरा, गुलाम यार का।
अब जो भी होगा देखेंगे अंजाम प्यार का।
हालात अब है ये कि सब उनकी बात करते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।
पहले छुपाये फिरते थे, हम दास्ताने इश्क।
जब उठ गया धुआं तो बगावत की आग सुलगी है।।
बेशाख्ता से हम उनको ही हरशू तकते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।