Wednesday, December 12, 2012

होश कहीं पैर कहीं कदम कहीं पड़ते हैं।

होश कहीं पैर कहीं कदम कहीं पड़ते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।

दीवानगी का आलम, कुछ इस तरह हुआ है।
आवारगी में अब नाम शुमार जान पड़ता है।
तारों, सितारों से गुलों से बात करते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।


जब हो ही बैठा दिल मेरा, गुलाम यार का।
अब जो भी होगा देखेंगे अंजाम प्यार का।
हालात अब है ये कि सब उनकी बात करते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।

पहले छुपाये फिरते थे, हम दास्ताने इश्क।
जब उठ गया धुआं तो बगावत की आग सुलगी है।।
बेशाख्ता से हम उनको ही हरशू तकते हैं।
वो हमें हम उन्हें जब याद करते हैं।।

Thursday, January 27, 2011

स्वतंत्र भारत का सच

कहने को स्वतंत्र है भारत है किन्तु, अब भी गुलाम है.
शासक का चेहरा बदला है, शासन का स्वरूप नहीं

विदेशियों ने लूटा भारत, अब स्वदेशी लूट रहे
भेड़ चाल पर चलने वाले, एक डगर पर निकल पड़े
वे भी धन विदेश भेजते, ये भी स्विस बैंक भेज रहे

बहू-बेटियां तब भी नंगी आज भी नंगी घूम रहीं
खाने को रोटी नहीं मिलती, तन की फिक्र वो कैसे करे
शासन की नज़रें हैं औंधी, जनता की फिर कौन सुने

कृषि मंत्री कृषि न जाने, खेल मंत्री खेल नहीं
वित्त मंत्री वित्त बटोरें, जनता का है खौफ नहीं
जनतंत्र की भयभीत जनता, मुंह से कुछ न बोल सके

एक थी महरानी लक्ष्मीबाई जो देश पर कुर्बान हुईं
अब हैं माया, ममता, शीला, ललिता की भी शान बड़ी
देश भले ही भूखा सोये, इनकी सजती रंगरेली

Monday, January 3, 2011

स्वागत है मेहमान आपका

स्वागत है मेहमान आपका आज हमारे आंगन में।
आप आए तो रौशन हुई है फिजा, वरना तो थी छायी धुंधली घटा।
इस पल पर थी मेरी कब से नजर-2 आज नजरों में जो नजारा है।
स्वागत है मेहमान आपका आज हमारे आंगन में।

मन हर्षित है, अंग पुलकित है, है रोम-रोम में खुशियाली।
कहती हैं फिजाएं झूम जरा, ये अवसर फिर न आनी है।
इस पल पर थी मेरी कब से नजर-2 आज नजरों में जो नजारा है।
स्वागत है मेहमान आपका आज हमारे आंगन में।

पुष्पों ने खजाना खोला है, मधुकर पराग ले बहक रहा।
चिड़ियों की चहक में सरगम है, आज पावन में फैली मादकता।
इस पल पर थी मेरी कब से नजर-2 आज नजरों में जो नजारा है।
स्वागत है मेहमान आपका आज हमारे आंगन में।


सूरज किरणें शीतल हैं, दिन में फैली है चन्द्रप्रभा।
अम्बर ने है ओढ़ा सतरंगी, ये जाने कैसे उत्सव है।
इस पल पर थी मेरी कब से नजर-2 आज नजरों में जो नजारा है।
स्वागत है मेहमान आपका आज हमारे आंगन में।

Monday, August 16, 2010

जिन्ना अगर नहीं होता

जिन्ना अगर न होता, ना होता वतन का टुकड़ा
न बंटती फिर ज़मीनें, ना खींची जाती सरहद
ना होती दिल में नफरत, ना रोज की बगावत
गुलिस्तां हमारा हंसता, जिन्ना अगर न होता।।

जन्नत है जो जहां का, कश्मीर धू-धू न जलता
सुनते चहक परींदों की, धमाके न रोज होते
न खेली जाती होली, नौजवानों के लहू से
दरख्तों पर उगती मुहब्बत, जिन्ना अगर न होता।

असलों पर बैठकर जो खेली जा रही सियासत
इस खूनी खेल के न हम चश्मदीद होते
न तुम उस पार रोते, न हम इस पार रोते
चिनाब से बिछड़कर गंगा का दिल न रोता , जिन्ना अगर न होता।

नफ़रत का बीज बोकर, बारूद न पैदा होता
मिलती सबको रोटी, भूखा न कोई सोता
1965 न हमें रूलाता, न 1971 का दर्द रहता
कारगिल का खूनी मंजर न चीख-चीख कहता
जिन्ना अगर न होता, जिन्ना अगर न होता।

न हिन्दुस्तान होता न पाकिस्तान होता
हम होते भारतवासी, भारत के वाशिंदे
न टुकड़ों में हम जीते, न लहू के आंसू पीते
जिन्ना अगर न होता, जिन्ना अगर न होता।

Wednesday, August 11, 2010

उठो जवानो बनो शरारा jai hind

उठो जवानो बनो शरारा, नश नश में भरलो अंगारा
राख बना दो गद्दारों को, भष्टाचारियों और घूसखोरों को
बैठे हैं जो कुर्सी पर तनकर, वोट दिया था हमने जिनको
चुन चुन कर उन बेमाईमानों को।

अब कहने का वक्त नहीं है, अब सुनने का समय नहीं है
बहुत कह लिये, बहुत सुन चुके, अब वक्त है बस करने का
भ्रष्ट शासन का अंत करने का, उठो जवानो............

घुटनों के बल चलना छोड़ो, भीख मांगकर खाना छोड़ो
मार कुण्डली जो बैठे हैं, खून तुम्हारा चूस रहे हैं
कुचल के रख दो, उन नागों को, उठो जवानो...............

मंहगाई में क्यों पिसते हो, क्यों भूखे ही तुम सोते हो,
जिन्हें चुना था तुमने नेता, वो पिते हैं चाय कारोड़ों की
उनसे अपना हिस्सा छीनो, इंकलाब का नारा बोलो
भ्रष्ट शासन को खाक बनादो, अपना शासन हाथ में ले लो।

जय हिन्द! इंकलाब!

Tuesday, August 3, 2010

दीवाना आपका आपका हो गया( Deewana apka ho gaya


दीवाना आपका आपका हो गया
कैसे कब और कहां दिल मेरा खो गया।
अब तो न होश है न है चैनो सुकून
कुछ पता न चला कैसे कब हो गया।
दीवाना आपका आपका हो गया।

भोली सूरत तेरी उस पे है सादगी
आंखें चंचल तेरी झील में जैसे चांदनी।
चांदनी में तेरी मैं उतरता गया
दीवाना आपका आपका हो गया।

लब तेरे छू लिये आंखों से जो जरा
मदहोशी छायी है कुछ तब से ही इस तरह।
दिखता ही कुछ नहीं एक सिवा आपके
दीवानापन है मेरा या आशिक मैं तेरा बन गया।
दीवाना आपका आपका हो गया।


Thursday, July 29, 2010

दीदार चाहता हूं


तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं
कशिश है चेहरे में जाने कैसा
करार दिल का मैं खो रहा हूं
है रात दिन अब ख्याल तेरा
क्या जानो तुम कैसे जी रहा हूं

नज+र से तेरी मिलाके नज+रें
किया गुनाह ऐसा लग रहा है
दिया नज+र का जो जाम तूने
के रिन्द बनकर भटक रहा हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

बता दे मुझको ऐ हुस्न वाले
क्या बन्दगी इसको कहते हैं
झुकाऊW सिर जो मैं रब के आगे
तेरी झलक उसमें ढूWढता हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

है रूह तक बेकरार मेरा
है हर घड़ी अब इंतजार तेरा
तेरी नज+र की दे ओस मुझको
दीदार को मैं तड़प रहा हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

मेरी मुहब्बत ऐ मेरी धड़कन
बनके हकीकत चली सामने आ
तस्वीर से दिल बहलता नही अब
दीदार बस एक तेरा चाहता हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं